
तेरे मुह से निकला हर कटाक्ष
बनकर याद एक साथ रहती है ..
पलती नफरत बढ़ती जाती..
तेरी हर गाली भी याद रहती है..
बोझ समझकर रोटी न डालो.
वो रोटी भी कुछ फ़रियाद लेती है..
देखि माँ की पहली हसरत..
जो दूध का भी हिसाब लेती है..
अरे! जा तब भी दी इज़्ज़त तुझको..
क्यूंकि माँ तो आखिर माँ होती है..
जब खो देगी इस दुनिया से मुझको..
तब देख तू भी न रो पाएगी..
पर जब-जब मेरी याद आएगी..
वो याद कभी न मिट पाएगी..
आखिर कह देगी उस दिन तू भी..
की बेटी भी आखिर बेटी होती है !!
– एक दर्द के साथ..
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