ये आस ही है जो इंसान को जोड़ती है..
ये आस ही तो इंसान को तोड़ती है..
जो आस न हो, कोई दुख ना हो..
ये आस ही तो रिश्ते को बोती है..
जब हम किसी को चाहते हैं..
आस को मन में जगाते हैं..
जो रोंद दे वो आस को..
लाचारी का सबब बढ़ाते हैं..
कितना अच्छा होता ये आस ना हो..
आस ना हो..कोई पास ना हो..
जीके देखो तन्हा अकेले..
जब साँसों की भी प्यास ना हो..
कोई प्यास ना हो..
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