
कुछ यूँ हो गया है अब तक का सफर ..
कि तब्दील हुई है "आह" हर सांस के बाद..
आइना समझाता है..शून्यों के रास्ते..
आनी है सौगात, हर रात के बाद..
वो सौगात जिसमे शादाब हैं तेरे लव्ज़.
कि बिखर जाती हूँ तुझमे यूँही हर बात के बाद..
यूँ तो हर रात उम्मीदों में गुज़र जाती है..
और फिर हो जाती है बरसात हर रात के बाद..
बैचैन हूँ उन पलों के लिए जो देंगे मुझे मेरा वजूद..
करती हूँ फ़रियाद इंतज़ार कि सांस के साथ..
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