मैं खुद को जिस्म के उस पार कर दूँ
फिर इसे खुद ही मैं मिस्मार कर दूँ
न जाऊँ लौटकर फिर उस क़फ़स में
के ऐसी दरमियाँ दीवार कर दूँ
ज़रूरत अम्न की हैं अब जहां में
तो अगली नस्ल को तैयार कर दूँ
उसी ने दिल ये तोड़ा कहता जो था
आ तुझ को इश्क़ का मेयार कर दूँ
चलूँ मैं साया बनके साथ पग पग
के तेरी रहगुज़र हमवार कर दूँ
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