
मै एक किसान हूँ :-
मै एक किसान हू इस जर्जर सी भूमि का इंसान हू, यूं ही नहीं मेने इस बंजर सी भूमि पे फसल है बोयी इसे तो मेने अपने खून पसीने से है सीचा....
पर आज इस किसान की रूह कही खो सी गयी है इस भूमि की भ्रष्टाचार भरी हवा मै, मेरे किसान भाई यू ही नहीं मर रहे हैं. इनके पिछे है कर्ज कयी जिसे माफ करने के वादे तो सारे नेता कर जाते हैं पर उनकी बातो मै वो बात नहीं.....
उनकी आंखों से टपकते आंसू घड़ियाल के आंसू से है उन पानी की बूंदो मै वो जज्बात नहीं.....
मौसम की मार बारिश के ओले, तूफान की केहर खा कर भी एक किसान अपनी फसल है उगाता ये कोई आसान काम नहीं....
आज हमारे अन्नदाता का भविष्य है अंधकार मै, चलो आज एक युद्ध लड़े इन नेताओ के कोरे वादों के खिलाफ....
ले लो सब एक एक ज्योत की लौ अपने हाथो मै और कर दो इस किसान की राह को प्रज्वलित....
किसान का मरना इस भूमि को लहू लुहान करने से कम नहीं, अब ना कोई किसान मरेगा ना उसके अंदर का छुपा इंसान मरेगा अब तो बस इस भूमि से काले धन और भ्रष्टाचार का बीज मरेगा.....
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