ये जो गुजरता हूँ मै थोड़ा थोड़ा,
ज्यूँ छूटा हो कोई जाम थोड़ा थोड़ा।
कभी यूँ लगा मुझको देखा पलट कर,
आने लगा है अब यकीं थोड़ा थोड़ा।
वो जो छोड़ देते है जाम आखों मे,
आने लगा है अब खुमार थोड़ा थोड़ा।
ये जो डूब जाता हूँ यक तेरे ख्यालों मे,
जी लेता हूँ हम-हबाब थोड़ा थोड़ा।
ये जो जुल्फ सर हो कर के बिखरी है,
छटने लगा है कोई अब्र थोड़ा थोड़ा।
वो जो नज़र झुका के महफिल से जाते है
आता भी है रश्क मुझकोे थोड़ा थोड़ा।
मेरा हाथ दबाकर आखों से कुछ गुज़रे है,
जुडने लगा है कोई मुझसे थोड़ा थोड़ा।
कोई दूर मुझको याद करता है वाँ,
निकला है माहताब याँ थोड़ा थोड़ा।
छत पे आता है बार-बार विनोद बहाने से,
जीने लगा है कोई मुझसा ही थोड़ा थोड़ा।
Comments