जिस मिट्टी से होती है मेरी पहचान,
वो मेरा है भारत, हाँ भारत महान........
जहाँ पावन है गंगा, कावेरी और यमुना,
सिन्ध व झेलम या रावी और कृष्णा,
सतलुज और व्यास हिमाचल की शान,
कोसी है सिक्किम, बिहार की जान,
साबरमती से जो सजता है राजस्थान,
तो गोदावरी है मेरे कर्नाटक की आन,
जहा नदियों को मिलता है माँ का सम्मान,
वो मेरा है भारत, हाँ भारत महान..........
जहाँ उन्तीस प्रदेशों का ऐसा है संगम,
इतनी है भाषा और कितने ही व्यंजन,
कितने अजूबों की कहती कहानी,
लाखों ही सालों से है बेजुबानी,
लूटा है मुगलों और अंग्रेज भी सानी,
खड़ा है जो अब भी तनकर संवर कर,
गिर करा उठा है फिर ताकत जो बनकर,
वो मेरा है भारत, हाँ भारत महान...........
कहता हूँ भारत की दुर्लभ कहानी,
सुनी थी कभी मैंने इसी की जुबानी,
नमी मेरे दिल मे अभी ठहरी हुई है,
परखो जो इसको तो दहली हुई है,
जुबाँ पे हमेशा ही मीठी है बोली,
सत्तावन की झाँसी बुंदेले हर बोली,
दिल का हूँ भोला छूँ लो तो शोला,
वो मेरा है भारत, हाँ भारत महान............
Comments