हम दिल के यूँ इतने करीब आ गए,
ये कैसे हुआ और ये कब आ गए।
कब ये हुआ उनकाे फुर्सत ना थी,
मंजिल जो पहुँचे तो मोड़ आ गए।
दिल को हुआ क्या जो नज़रे मिली,
नज़र ही नज़र मे कुछ फरमा गए।
कब आने के उनके बसीले ना थे,
हम कहते जो उनसे वो घबरा गए।
है उनसे मोहब्बत ना हम कह सके,
अब हम-तुम जुदा हो कहां आ गए।
हम गुज़ारिश करे और क़यामत है ये,
ये कैसे हुआ यक वो बर-रू आ गए।
ये कैसे हुआ कब वो जुदा हो गए,
ये फिराक और कब दरमियाँ आ गए।
बेखुदी का ये आलम है कैसा "विनोद",
हम जो पहुँचे ही थे तुम नज़र आ गए।
बसीले - scarecity
बर-रू - in face
शौक़ - desire
मुख़्तसर - brief
इब्तिदा - beginning
नश्तर - injection
तलबगार - searcher.
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