तिपहिये से पेट की जंग लड़ते तेरे कदम, रुके तो एक इतिहास थम जायेगा !
कृष्ण सा सारथि तू ,कलियुग की महाभारत का एक पात्र है तू!
ईंधन की कीमत तेरे कदमो से ज्यादा आकि जाती है,
तेरी मेहनत चंद सिक्को से तोली जाती है !
कभी राह में थक के रुका तू,
तो अपशब्दों से तेरे आत्मसम्मान की चिता जलायी जाती है !
कई थकते कदमो को मंज़िले दी है तूने,
पर तेरी मंज़िले अब भी राहों की मोहताज है !
धूप छाँव मानो तेरे ही प्रतिदुॅंधी है,
हवा भी तेरी दिशा से उलटी बहकर तुझे और बोझिल करती है !
हज़ारो सपने तेरे अपने ही कदमो के नीचे दफन है,
भूख तेरी मंदिरो के प्रसाद पे निर्भर है !
युः समझना बस ये दर्द तेरा मरहम है,
हुई थी कभी कोई भूल, जो आज तू इस कदर गमगीन है !
उस का न्याय समझ के बस अपना सफर तय कर,
उसे है खबर तेरे दर्द की, वो फिर किसी सुबह तेरे कदमो को आराम देगा,
तुझे तेरी मेहनत का सच मोल देगा!!
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