• Published : 26 Aug, 2015
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तिपहिये से पेट की जंग लड़ते तेरे कदम, रुके तो एक इतिहास थम जायेगा !

कृष्ण सा सारथि तू ,कलियुग की महाभारत का एक पात्र है तू!

 

ईंधन की कीमत तेरे कदमो से ज्यादा आकि जाती है,

 तेरी मेहनत चंद सिक्को से तोली जाती है !

 

कभी राह में थक के रुका तू,

 तो अपशब्दों से तेरे आत्मसम्मान की चिता जलायी जाती है !

 

कई थकते कदमो को मंज़िले दी है तूने,

 पर तेरी मंज़िले अब भी राहों की मोहताज है !

 

धूप छाँव मानो तेरे ही प्रतिदुॅंधी है,

 हवा भी तेरी दिशा से उलटी बहकर तुझे और बोझिल करती है !

 

हज़ारो सपने तेरे अपने ही कदमो के नीचे दफन है,

 भूख तेरी मंदिरो के प्रसाद पे निर्भर है !

 

युः समझना बस ये दर्द तेरा मरहम है,

 हुई थी कभी कोई भूल, जो आज तू इस कदर गमगीन है !

 

उस का न्याय समझ के बस अपना सफर तय कर,

 उसे है खबर तेरे दर्द की, वो फिर किसी सुबह तेरे कदमो को आराम देगा,

 

तुझे तेरी मेहनत का सच मोल देगा!!

About the Author

Amit Tewari

Joined: 19 Jul, 2015 | Location: , India

I am a Software Engineer and   DU Computer Science pass out.. I watch world with curiosity, like to weave situations in my words.Love to imagine things, love to argue with myself , improve as a person, sing a song, write a song, write ...

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