याद है तुम्हें जब पहली बार मिले थे हम।
तुम पहुँच गए थे मुझसे थोडा पहले,
और घूम रहे थे c p के गलियारों में।
यहाँ से वहाँ थोड़े बैचैन, थोडा इंतज़ार करते हुए।
और मैंने पीछे से आकर,
धप्पा किया था तुम्हें।
फिर तुमने पलटकर,
आँखों में चमक भर कर,
Hi बोला था मुझे।
और मैंने भी कहा था hello.
क्रिसमस का दिन था वो,
बादल हो रहे थे।
फिर भी एकाएक,
सूरज चमक के रह गया था
दिलकश मुस्कान में तुम्हारी।
लाल सफ़ेद टोपियों में घूम रहे थे लोग
और हम ढूंढ रहे थे लाल रंग अपने लिए।
C p के वो सफ़ेद ठन्डे खम्बे
एकाएक सुलग उठे थे जब मैंने छुआ था तुम्हें।
अंदर कुछ खौल सा गया था।
तुम चॉकलेट लाये थे मेरे लिए,
मेरी पसंदीदा डार्क चॉकलेट।
और मैं निरा बुध्धु,
खाली हाथ गया था।
फिर हम बढ़ गए थे बात करते हुए,
उन गलियारों में।
चलते चलते अचानक रुके तुम,
कोई कुछ बेच रहा था।
छोटे छोटे santa जिनमें लगा बटन दबाओ तो
तो jingel bells गाते थे वो।
तुमने वही माँगा
मैंने वही लिया।
और फिर हम आगे बढ़ गए
फिर से बात करते हुए।
चुपके चुपके एक दुसरे को देखते हुए।
अचानक दिन कुछ बदल सा गया था।
पहली बार मिलने पर भी
अजनबी नहीं थे तुम।
एक रिश्ता था जो
महसूस हो रहा था दोनों को।
कि अचानक तुम बोले
चलो फिर मिलते हैं
घर भी जाना है।
और हम चल दिए
मेट्रो स्टेशन की तरफ।
जाते जाते बाय बोला था तुमने
तुमने मुस्कुरा कर।
पहले से ज्यादा चमक के साथ।
और फिर चले गए थे तुम।
अब कभी c p जाओ तो देखना
वो खिलौने वाला अब भी वहीँ मिल जायेगा।
वो गलियारे अब भी जल रहे होंगे,
तुम्हारे क़दम चूमे थे जिन्होंने।
और वो सफ़ेद खम्बे,
अब भी सुलग रहे होंगे।
पर क्या?
याद है तुम्हें जब पहली बार मिले थे हम।
(अश्वत्थ)
15 march 2015
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