समय ने अपना चक्र घुमाया , परिवर्तन है लेकर ये आया
कुछ ने आगे बढ़कर अपनाया , पर ये सबको न रास आया
नहीं ढल पाते कुछ , इस परिवर्तन के मार से
सब नियंत्रण में होना कठिन है , इसके प्रभाव से
कोई इसका सामना करने , योद्धा की भांति तत्पर है
कोई परिणाम की चिंता कर , खोया अस्त सा बैठा है
बहुत हुआ अब सोचना , सजीव सा देख एक सपना
सफलता है अगर पाना , मंजिल निर्धारित कर अपना
परिवर्तन लाज़िम है या नहीं , इसका परिणाम तो समय ही बतलाता है
जो उचित समय पे स्वयं को नहीं बदल पाता , वो समय-समय पछताता है
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