
खैर उनकी पूछे तो जलता है दिल,
शोलों के माने ही भड़कता है दिल।
देख के तुझको जो गुज़री है मुझ पे,
फिर जीने की राहो पे चलता है दिल।
फरेब-ए-नज़र है या आखों का जादू ,
या सेहरा मे चश्म-ए-आब है दिल।
आँचल है तेरा या है जुल्फों के साये,
उचका है सागर की लहरों सा दिल।
फिर किस बहाने से आते हो जाओ,
जो मुद्दत से बैठे हो ले कर के दिल।
अब भरने लगे है कुछ ज़ख्म पुराने,
फिर राह-ए-मोहब्बत जाता है दिल।
शिकवे मोहब्बत मे रूसवाईया भी,
गिला जो करो तो तडपता है दिल।
कई दिन से ख्वाबों ख्यालों मे तू है,
हर-सू-ए-तलब है ये कहता है दिल।
उम्र का जलवा कुछ कहता 'विनोद',
कमी उनकी महसूस करता है दिल।
सेहरा-desert,
चश्म-ए-आब-watery eyes,
हर-सू-ए-तलब-lust everwhere.
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