
कह दे गम-ए-दिल मेरे हर बात है जो दिल मे तेरे,
दिल का हर साज है महके हर वादे पे ही यार तेरे।
आ आ के जो रूकती है इक बात ज़ुबाँ पे मेेरे,
आ जाती है हर सूरत अब ख्वाब मे ही बन के मेरे।
गर खौफ़-ए-अदू इतना पहले से ए-दिल मेरे,
गैर-अज़-निगाह-ए-साकी आने दे जुबाँ पे तेरे।
कुछ असर है गम-ए-इश्क-ए-दिल हर पल-ओ-सवेरे,
सर-ए-अब्र-ए-फलक छाए या ज़ुल्फ-ए-घटा तेरे।
सर-ए-इश्क-ए-फज़ा है या सर-ए-इश्क-ए-फुसुँ तेरे,
पी जाउं लब-ए-सागर कि मश्कीज़ा-ए-मय तेरे।
शिकवे है हज़ार उनको और जान पे है मेरे,
कब उनके बिन गुज़री शब-ए-हिज्रा-ए-दिल मेरे।
घने सायों के घेरे है और शब-ए-गम के अंधेरे,
हर बात जुबाँ गरचे शब हाय न वो मेरे।
बन के आ जाती है लब रह-रह के हकीकत मेरे,
कब से महरूम हूँ देख शोख़-ए-अंदाज तेरे।
रख के आईना "विनोद" कह दे सब हाल तेरे,
पूछे कोई उनसे हकीक़त कह देंगे सब हाल मेरे।
खौफ़-ए-अदू- fear from rival.
गैर-अज़-निगाह-ए-साकी निगह-other than eye of lover.
सर-ए-अब्र-ए-फलक - clouds in the sky
फज़ा -atmosphere, weather.
फुसुँ-magic
मश्कीज़ा-ए-मय-leather pouch(मश्क) of wine.
हिज्रा-separation from beloved.
गरचे - if, but
शोख़-naughty
महरूम-away.
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