जाते हुए कहते हो मुझको कि लौट आओ,
किस हक से कहते हो मुझको कि लौट आओ।
कब उनकी झलक पाने को ना मै यूँ तरसा हूँ,
अब कहते है मुझको ख्वाबों मे ना बुलवाओ।
आखों से वो जाते-जाते कुछ कह गुज़रे है,
क्यूँ दिल ही दिल मे रखते हो कुछ फरमाओ।
शब-ए-हिज्र मे लम्हा-दर-लम्हा ही दुष्कर है,
जो जाम है मद-भरी आखों के वो दे जाओ।
क्यूँ दिल ही दिल गर कोई गिला-ओ-शिकवा हो,
कह भी दो तुम और मुझकोे आकर समझाओ।
हर दिल की अब यही दुआ है कि आकर तू,
हर धड़कन मे तुम ही तुम हो बतलाओ।
क्यूँ फैली है आखों मे चहू ओर नमी,
तन्हा हूँ मै अहल-ए-महफिल आ जाओ।
आओ ना शब जान-ए-तमन्ना ख्वाबो मे,
है अश्क का दरिया आखों मे ना बह जाओ,
मौसम है कुछ बहका-बहका ओ ताब है आज,
क्या तेरी जुल्फ-ए-घटा है मुझको बतलाओ।
कोई साज़-ए-गुल यूँ आज हवा मे आया है,
इक तेरी महक है सासों मे शब आ जाओ।
उनसे कह दो जा कर अब तो हाल-ए-चमन,
वो भूल गए हर बात कोई वाँ बतलाओ।
अब के बरस तो सावन भी यूँ बरसा है,
कोई याद तुझे ही करता है अब आ जाओ।
उनकी सब कसमे ओ वादे याद मुझे,
अब भूलू तुमको याद रखू ये बतलाओ।
शाम ही से दर-ए-आइना और याद विनोद,
हर बात अयाँ है तुझको दिल क्या समझाओ।
तेरी हर इक बात करूँ और याद करूँ,
तू आईना और अक्स हूँ मै कोई समझाओ।
तेरी तरफ ही खिंचता चला अाता हूँ मगर,
तू अर्श है और मै खाक-ए-ज़मी क्या समझाओ।
हर बात ही हो गर मुमकिन इस गम-ए-दुनिया मे,
वो गुज़रे हुए जो साल ओ लम्हे दे जाओ।
हर बात मै कैसे कह दू तुमको ख्वाबो मे,
मै कब से हूँ दीदार-ए-तमन्ना आ जाओ।
हर दाग़-ए-वफ़ा का मंज़र है क्यूँ बतलाओ,
कब राह पे छोडा तुमको मैने ये बतलाओ।
हर बात पे आते है तेरे ही कितने ख्याल,
किस को पूछू और कह दू तुम बतलाओ।
हर बात ही तेरी याद करूँ और खो जाऊं,
कब था मै मुकाबिल मुझको ये बतलाओ।
हाल-ए-चमन -condition of garden.
वाँ- there.
साज़-ए-गुल-music of flower.
दर-ए-आइना -door of mirror.
अयाँ - evident.
खाक-ए-ज़मी - ash of earth.
गम-ए-दुनिया -sorrows of world.
अहल-ए-महफिल - party of generous people.
दीदार-ए-तमन्ना -wish of seeing.
दाग़-ए-वफ़ा(داغ_وفا)-blemish of constancy
मुकाबिल - opposite
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