एक दिल है और आरजू हज़ार,
मिल जाओ तुम जनम हो बार-बार।
हो महव-ए-दीद अब तो बार-बार,
तू क्या जाने लुत्फ-ए-दीद-ए-अबसार।
देखे है चश्म ओ लब के ही ज़रार,
हाय! क्यूँ सहता हूँ सितम ये बार-बार।
फ़र्त-ए-शौक़ का आलम है बार-बार,
साेचता हूँ अब क्या तुझपे इख्तियार।
आज़मा के देख तू मुझको ए-निगार,
गर जो तू नहीं है जिदंगी बे-ज़ार।
कभी यूँ भी हो दिल हो ज़ार-ज़ार,
और आ जाये तू ए-दिल-बे-क़रार।
कैसी रात है ए-मेरे गम-खुसार,
अब तो मान ले कि हो गया है प्यार।
कैद-ए-आरज़ू को कर दूँ गर फना,
फिर न आज़मा-ना मुझको ए-निगार।
आईना हूँ मैं और तू है राज-दार,
इश्क है तो गर तू कर ले एतिबार।
दिल से दिल मिला और नज़र भी यूँ,
कि रूह-रूह पे कर ले इख्तियार।
कुछ तो नज़र की बात है जरूर,
लब जो ना कहें सुना हज़ार बार।
नज़र नज़र से ही नज़र को है खुमार,
सुन ले जिदंगी तू ये हज़ार बार।
है हज़ार रंग तू रूह पे देख ले,
गर मै ये कहू कि तू है वो निगार।
मकाम-ए-"विनोद" तो मेरे सामने,
तू हर सिम्ट है और मै हूँ बे-ज़ार।
शिकस्त-ए-जिंदगी तो मेरे दम से है,
क्या है ये जहाँ ए-मेरे हुस्न-ए-गार।
महव-ए-दीद- fascinated sight.
लुत्फ-ए-दीद-ए-अबसार -joy of seeing the lover's eyes.
ज़रार-injury/damage/harm
फ़र्त-ए-शौक़ - excessive desire/love.
आलम- time/situation
इख्तियार-possession.
बे-ज़ार-humour less.
गम-ख्वार-consoler of sorrow;
निगार-painter.
ज़ार-ज़ार- broken hearted.
सिम्ट - direction.
हुस्न-ए-गार - possession of beauty.
बे-दाद-ए-जिदंगी- injustice of life.
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