जिन्दगी की अदा है
आज वक़्त कुछ ठहरा हुआ है,
बंद आवाज में जैसे कोई दुआ है |
डर के जीने में क्या मजा है,
ठहराव में गति ही तो जिन्दगी की अदा है ||
ना तुझसे ना मुझसे कुछ छुपा है,
बात है इतनी की ये वक़्त रुका है |
कलम ने तो फिर कागज को छुआ है,
न जाने क्यों पर तेरे स्पर्श में जिन्दगी की अदा है ||
कुछ दूर पर देख एक प्यासा बैठा है,
वक़्त का मारा नहीं गरीब हालातो का दुलारा है |
पानी नहीं पर उस संग आसुओ का पिटारा है,
लगता है ये तकलीफे भी यहाँ जिन्दगी की अदा है ||
स्याही का खत्म होना फिर कागज की सजा है,
मन का युद्ध कागज पे उतारना एक कला है |
वक़्त के साथ रुक जाने वाले कही न कही बेवफा है,
शायद, कर्म करते रहना ही जिन्दगी की अदा है ||
कभी मेरी कभी तेरी, ये मुश्किल बस एक हवा है,
चलती है कभी तो कभी रुकी नैया है |
मत डूब मुस्कुराले चलते हुए, ये मैने कहा है,
क्योंकि, दर्द में मुस्कुराने वाला ही जिन्दगी की अदा है ||
- शिप्रा पारीक
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