• Published : 17 May, 2016
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जिन्दगी की अदा है

आज वक़्त कुछ ठहरा हुआ है,

बंद आवाज में जैसे कोई दुआ है |

डर के जीने में क्या मजा है,

ठहराव में गति ही तो जिन्दगी की अदा है ||
 

 

ना तुझसे ना मुझसे कुछ छुपा है,

बात है इतनी की ये वक़्त रुका है |

कलम ने तो फिर कागज को छुआ है,

न जाने क्यों पर तेरे स्पर्श में जिन्दगी की अदा है ||

 

कुछ दूर पर देख एक प्यासा बैठा है,

वक़्त का मारा नहीं गरीब हालातो का दुलारा है |

पानी नहीं पर उस संग आसुओ का पिटारा है,

लगता है ये तकलीफे भी यहाँ जिन्दगी की अदा है ||

 

स्याही का खत्म होना फिर कागज की सजा है,

मन का युद्ध कागज पे उतारना एक कला है |

वक़्त के साथ रुक जाने वाले कही न कही बेवफा है,

शायद, कर्म करते रहना ही जिन्दगी की अदा है ||

 

कभी मेरी कभी तेरी, ये मुश्किल बस एक हवा है,

चलती है कभी तो कभी रुकी नैया है |

मत डूब मुस्कुराले चलते हुए, ये मैने कहा है,

क्योंकि, दर्द में मुस्कुराने वाला ही जिन्दगी की अदा है ||

- शिप्रा पारीक

 

About the Author

Shipra Parek

Joined: 23 Aug, 2015 | Location: , India

कौन हूँ मैं ,......कभी राख सी उबलती मैं,कभी शीशे में जलती मैं,हर पारदर्शी इंसान में मैं,वो मिटटी की दि...

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