• Published : 30 Aug, 2017
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आज मौसम जरा ठहरा सा है, 

ये धुन हैं प्रेम की जिसमे ये मन भीगा है|

रात के अंधेरो से सवेरे की किरण तक, 

ये मन तेरी याद मे समाया है||

कल फिर सुबह होगा, 

कल फिर तू ना होगा, 

जंग पर लड़ रहा मेरे माथे का सिंदूर होगा,

ये सोचकर मेरे दिल को मैने पत्थर से सिया हैं, 

ए मुल्क मेरे देख ले मैने तुझसे प्रेम किया है |

ए मुल्क मेरे देख ले मैने तुझको ही चुना है ||

About the Author

Shipra Parek

Joined: 23 Aug, 2015 | Location: , India

कौन हूँ मैं ,......कभी राख सी उबलती मैं,कभी शीशे में जलती मैं,हर पारदर्शी इंसान में मैं,वो मिटटी की दि...

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