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आज मौसम जरा ठहरा सा है,
ये धुन हैं प्रेम की जिसमे ये मन भीगा है|
रात के अंधेरो से सवेरे की किरण तक,
ये मन तेरी याद मे समाया है||
कल फिर सुबह होगा,
कल फिर तू ना होगा,
जंग पर लड़ रहा मेरे माथे का सिंदूर होगा,
ये सोचकर मेरे दिल को मैने पत्थर से सिया हैं,
ए मुल्क मेरे देख ले मैने तुझसे प्रेम किया है |
ए मुल्क मेरे देख ले मैने तुझको ही चुना है ||
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