• Published : 20 Nov, 2014
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दिल तो तुम्हारा आज़ भी धड़कता होगा
 कभी तो यादों का वो प्याला भरके छलकता होगा

 आँखों से मोतियों का, आज़ भी वो सैलाब निकलता होगा
 कभी तो नज़रों से, मेरी नज़रों को छू लेने ज़ी करता होगा

यादों के साये में आज़ भी तो दिल मुस्कुराता होगा
 कभी तो फ़ुर्सत के लम्हों में बात करने का ज़ी करता होगा

 पलकों की डालियों पर आज़ भी ख़्वाबों का फूल लहराता होगा
 कभी तो कोई ख्वाइशों का झोंका प्यार की ख़ुशबू बिखेरता होगा

 तन्हाईओं के उन पलों में आज भी याद कर दिल रोता होगा
 कभी तो मुझको तुझसे जुदा करके ख़ुदा भी रोता होगा

 आख़िर, आज भी, वो बस एक प्यारा सा दिल ही तो होगा
 जो कभी तो मुझको याद कर, बिन इज़ाज़त धड़कता होगा
~ © निशांत भटनागर 2014

About the Author

Nishant Bhatnagar

Joined: 06 Nov, 2014 | Location: , India

अपने जीवन की नैया खेता एक नन्ही जान हूँ ज़िन्दगी के इन अजीब रास्तों से अनजान हूँ इन्द्रधनुष...

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