कुछ तुम अधूरी सी वहां
कुछ मैं अधूरा सा यहाँ
कुछ तुम ख़ामोशी से धड़कती हुई
कुछ मैं तनहा सा तड़पता हुआ
कुछ तुम यादों के सपनों को पिरोती हुई
कुछ मैं एहसासों से बादलों को भिगोता हुआ
कुछ तुम चंचल बहती नदिया सी
कुछ मैं किनारे पे बंधी एक कश्ती सा
कुछ तुम प्यार के सागर सी
कुछ मैं रेगिस्तानी प्यासी गागर सा
कुछ तुम अधूरी सी
कुछ मैं अधूरा सा
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