
सुबह से शाम का मिलन होने को है,
छट गई धूप बिरह की..... संगम होने को है !!
ना मुरझाओ गुल-ए-राना नाजुक हो तुम,
चेहरे पर नूर- ए- शफक या खुदा अभी देखने को है !!
चले आए हैं वो मिलने सर पर सरापा लिए हुए,
शब से कह दो खैर मनाए चाँद खुद जमीं पर उतरने को है !!
About the Author

Comments