
दरवाजा दिल का आप की जानिब बंद ना करते तो क्या करते,
ज़माने भर की आँधियों नें रुख साधा था ठीक हमारी तरफ!!
ताजमहल की माफिक यूँ ही नहीं दिल दीदार के काबिल हुए,
दफना कर मुहब्बत मकबरा हुए वो उस तरफ हम इस तरफ !!
ना कर उम्मीद मुझ से दीवानगी की ए दिल ए नादाँ,
देख वक्त नें खीँची है दायरों की दीवार एक उस तरफ इक इस तरफ !!
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