
पँखों की उड़ान अब अच्छी हैं,
तेरा अब इन तूफानों में उड़ना अच्छा हैं,
ये वो सपनें नहीं जो राह को देखते हैं,
ये वो पल है जो ज़िन्दगी को जीते,
तेरे पंख अब थकते नहीं,
ना अब डरते हैं इन खुले आसमां में खुलने को,
बहुत आंधिया आती हैं तेरी राहे तलाशते,
बहुत तूफां तुझे ढूँढ़ते हैं अब अक्सर,
तुझको आदत सी अब ये तलब लगी हैं,
इस खुले आसमां में ओर उड़ने की,
और ज्यादा पँख फैलाने की,
बादल भी अब तेरा इन्तिहाँ लेते हैं,
अक्सर काले काले से इस आसमां को करते हैं,
एक तू हैं की इस गरजते में भी उड़ता हैं,
भीगते पँखों में तेरी उड़ान अब ओर अच्छी हैं,
तेरी अब मंज़िल पाने की ललक अच्छी हैं,
पंखों की उड़ान अब अच्छी है,
पंखों की उड़ान अब अच्छी हैं ।
About the Author

Comments