पल पल जिंदगी
जीवन और मौत के बीच की डगर है
जिंदगी।
इक पतली सी खुशनुमा रेशम सी डोर है
जिंदगी ।
नटी की मानिंद, झूलती झुलाती, तारतम्य बनाती है
जिंदगी।
इक पल हंसती, इक पल रोती है, गुनगुनाती सी है
जिंदगी ।
धीरे धीरे सरकती जाती है , फिसलती सी है
जिंदगी ।
कुछ छूट गए, कुछ पास आए ,ऐसे रू बरू होती है
जिंदगी ।
ये आवागमन का चलन है, सो चलती है
जिंदगी ।
कोई जीए, कोई मरे, मौसम बदलें , फिर भी धड़कती है
जिंदगी।
दिन के बाद रात, रात के बाद दिन, करवट बदलती है
जिंदगी ।
बस यूँ ही पलक झपकते अलविदा कह देती है
जिंदगी ।
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