• Published : 09 Sep, 2015
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पल पल जिंदगी

जीवन और मौत के बीच की डगर है

जिंदगी।

इक पतली सी खुशनुमा रेशम सी डोर है

जिंदगी ।

नटी की मानिंद, झूलती झुलाती, तारतम्य बनाती है

जिंदगी।

इक पल हंसती, इक पल रोती है, गुनगुनाती सी है

जिंदगी ।

धीरे धीरे सरकती जाती है , फिसलती सी है

जिंदगी ।

कुछ छूट गए, कुछ पास आए ,ऐसे रू बरू होती है

जिंदगी ।

ये आवागमन का चलन है, सो चलती है

जिंदगी ।

कोई जीए, कोई मरे, मौसम बदलें , फिर भी धड़कती है

जिंदगी।

दिन के बाद रात, रात के बाद दिन, करवट बदलती है

जिंदगी ।

बस यूँ ही पलक झपकते अलविदा कह देती है

जिंदगी ।

 

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Kiren Babal

Joined: 05 Sep, 2015 | Location: ,

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