महफ़िल ग़म का यूँ सजाया न करो
तन्हाई में मुझको यूँ सताया न करो
जानता हूँ तुम्हे खूब पसन्द है बेवफाई
इस तरह आ कर यूँ चले जाया न करो
मेरा क्या है मैं तो मौज-ए-समन्दर हूँ
मैं खामोश हूँ मुझे यूँ सताया न करो
जी लेने तो मुझे ज़िन्दगी सुकून से
बारहां सदायें देकर यूँ तड़पाया न करो
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