
जुदाई की शिद्दत को सहना भी ज़रूरी है
अर्श पे देखा एक अजीब सी तन्हाई को हमने
बादलों का गरजना ज़रूरी है बरसना भी ज़रूरी है
मैं जानता हूँ कि न आओगे लौट कर तुम दुबारा
तुम्हारी यादों के चरागों का जलना भी ज़रूरी है
आज भी याद हैं वो लम्हात जो गुज़रे थे साथ कभी
उन यादों के समन्दर से बच के निकलना भी ज़रूरी है
About the Author

Comments