न मालो दौलत है पास मेरे न शोहरत
किस काम की है ये झूठी शानो शौकत
न इल्मे गैब का हुनर मालुम है शाह
न ज़िन्दगी ने दी है ज़रा भी मोहलत
जिए जा रहे हैं ज़िन्दगी आवारगी में
मेरी हर सांस करने लगी है बगावत
इस छोटे से सफर में थक चुके हैं हम
ऐ खुदा करदे रहम दे दे ज़रा तरावत
मेरा भी हो नाम हर एक जुबान पर
मिल जाये तेरे करम से हमें सखावत
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