• Published : 24 Aug, 2015
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कई दिनों से अकेले चल रहे थे 
कोई मिला तो साथ हो लिए 
कुछ खालीपन उन्हमे भी था 
तभी तो सब्दों में खो लिए 
अजीब सी थी उनकी कहानी 
मुस्किल था कुछ लम्हे में 
उस अजनबी को समझना 
उनको समझने की चाह में 
हम लम्बे सफर को चल दिए

कभी कुछ दिल की सुनाएंगे 
कुछ समझेंगे कुछ समझायेंगे 
तभी तो तुम्हे समझ पाएंगे 
थोड़ा मुस्कुराने लगे हो
पुराना ग़म भूलने लगे हो 
हमे सच में अपना रहे हो 
या किसी की यादों से 
पीछा छुड़ा रहे हो

About the Author

Vaibhav Tiwari

Joined: 16 Aug, 2015 | Location: ,

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