• Published : 30 Sep, 2015
  • Comments : 5
  • Rating : 5

हर गिरह दिल की खुलती गयी
जब खुद को उनसे बंधा पाया
रखे जिस हाल में भी, रह लेंगे
वो ही मेरा हमदम, वो ही सरमाया

बंद लबों से थी शिकायत कल तक
आज इनकी ख़ामोशी को सुनते हैं
बेइंतहा मोहब्बत करते हैं तुमसे
इन्होंने अभी-अभी है ये फ़रमाया

तू जो न कहे, तो भी हम सुन लेते हैं
तू जो न सुने तो भी अपनी कह लेते हैं 
जिस्म दो हैं पर रूह एक हो जाती है
हमें तो इश्क़ ने बस यही है समझाया

About the Author

Meena Sood

Joined: 25 Aug, 2015 | Location: , India

अपनी खिली मुस्कान की सबको देते रहना सौग़ात चाहे  आसां' हो ज़िन्दगी; या  हों मुश्क़िल  हालात.....

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