• Published : 06 Sep, 2015
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आज जब भी पियानो बजने बैठती हू

 मेरी नजरे टिकी होती है ,

उस पर नहीं

पर

मेरी अनामिका में जड़े उस नग पर ।

मेरी उंगलियां ,

नाचती है किसी और की धुन पर

मानो उस दिन उस गोले ने बाँध दिया हो ,

मेरी उंगली नहीं

मेरे आसमान को..

पथ पर गतिमान पैरो को।

और उसपे जड़े नग ने सोख ली हो,

 मेरी आँखों से चमक

और

मेरे सपनो से स्याही।

 

About the Author

Ankita Yadav

Joined: 18 Aug, 2015 | Location: , India

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