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नजरो से है तू ओझल बेशक.
लेकिन दिल के करीब है..
मुकम्मल नहीं होते ख्वाब सभी के..
सभी का अपना नसीब है..
पैसो से होता नहीं कोई कभी रईस.
तन्हा है जो वो गरीब है..
मुश्किल से मिलते है सच्चे रिश्ते यहाँ ..
इंसान ही इंसान का रकीब है..
और कोई छोड़ देता है हमसफ़र को पाकर,
सोचता है ज़िन्दगी अजीब है.
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