अरसो बाद आज ईन उंगलियों के बीच किसी और का हाथ है
लबों पे नही आखों मे हसी की आवाज़ हैं
छोर आए थे जिन गलियों मे अरमान हस्सीन
आज उन रास्तो पे फिर से निकले मेरे जसबात हैं |
हमने सोच लिया था नही दिल लगाना
हसरत नही कोई अब आज़माना
पर ज़िंदगी मे मिले तुमसे कभी ऐसी एक ख्वाइश थी
सफ़र मंज़िले हो तुमसे एक ऐसी एक चाहत थी |
तेरे आने की कोई आहत नही हुई थी
यूँ आके रह जाने की बात भी नही हुई थी
पर देखा जब तुझे तो यह पहचाना
ना जाने कब से चाहा था सिर्फ़ एक तुम्हे पाना |
बिन कहे कुछ तुमने मुझे बदल दिया
अपने रंग मे मुझे कुछ इस तरह रंग दिया
क्यूँ करू अब मैं शिकवा शिकायत कोई
की अब लगे हर गुज़रा घम अनमोल
तुम तक पहुचने का छोटा सा एक मोल |
शायद मैं तेरे काबिल तो नहीं
पर उपर कही मुझसे खुश हैं कोई
सब ले के मुझसे उस ने दिया तुझे
हर दुआ पे और भी तेरा किया मुझे |
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