• Published : 26 Aug, 2015
  • Comments : 0
  • Rating : 5

अरसो बाद आज ईन उंगलियों के बीच किसी और का हाथ है

लबों पे नही आखों मे हसी की आवाज़ हैं

छोर आए थे जिन गलियों मे अरमान हस्सीन

आज उन रास्तो पे फिर से निकले मेरे जसबात हैं |


हमने सोच लिया था नही दिल लगाना

हसरत नही कोई अब आज़माना

पर ज़िंदगी मे मिले तुमसे कभी ऐसी एक ख्वाइश थी

सफ़र मंज़िले हो तुमसे एक ऐसी एक चाहत थी |


तेरे आने की कोई आहत नही हुई थी

यूँ आके रह जाने की बात भी नही हुई थी

पर देखा जब तुझे तो यह पहचाना

ना जाने कब से चाहा था सिर्फ़ एक तुम्हे पाना |


बिन कहे कुछ तुमने मुझे बदल दिया

अपने रंग मे मुझे कुछ इस तरह रंग दिया

क्यूँ करू अब मैं शिकवा शिकायत कोई

की अब लगे हर गुज़रा घम अनमोल

तुम तक पहुचने का छोटा सा एक मोल |
 

शायद मैं तेरे काबिल तो नहीं

पर उपर कही मुझसे खुश हैं कोई

सब ले के मुझसे उस ने दिया तुझे

हर दुआ पे और भी तेरा किया मुझे |

About the Author

Shruti Barasia

Joined: 24 Aug, 2015 | Location: , United States

So, who am I?This is a tricky question to answer as I’m not always entirely sure who I am from one moment to another. In fact, all I'm certain of is that I'm not quite the same person as I was when I first arrived in this world, all tho...

Share
Average user rating

5 / 1


Please login or register to rate the story
Total Vote(s)

1

Total Reads

819

Recent Publication
His Bride.
Published on: 01 Oct, 2015
Tere Naam
Published on: 26 Aug, 2015
Do Kadam
Published on: 26 Aug, 2015
The Road Through That Window
Published on: 24 Aug, 2015
Emptiness
Published on: 24 Aug, 2015

Leave Comments

Please Login or Register to post comments

Comments