• Published : 26 Aug, 2015
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हर चोरहा छान आए
सारी गलियाँ घूम आए
साँस लेते है जिस तरह साये
उस तरह हर सक्श से तुम मिल आए |

हर महखाने मे भटक आए
हर आते जाते चेहरे के साथ हस आए
ढूंढते रहे बाज़ार मे वो एक पल
खुद के साथ दो पल बोल ना पाए |

हर शोर मे शामिल हो लिए
हर जाते वक़्त से गले लग लिए
पर उस आहत को आज भी
ना सुन पाए ना महफूज़ कर पाए |

भ्रम तोड़ने की जुट मे लगे तुम
ना जान पाए जी रहे हो एक भ्रम|
ना कर अब पीछा फास्लो का
अब और ना खेल आँख मिचोली इंतेज़ार से |

बेवजह लगे हो हर वजह
ना-खुश है अगर हर मुस्कुराहट तेरी
ना मिले मंज़िल का जो निशान
अब थम जा एक पल तू ए मेरे दोस्त
झुका अपनी नज़रे दो घड़ी
करने जान पेचन राहो से
बीता पल बीट गया, अपने खुशी गम ले गया
तू आज की बारिश मे भीग ले ज़रा
मेरे साथ आज तू दो कदम चल ले
खुद को जो भूल आया है , थोडा याद करले |

About the Author

Shruti Barasia

Joined: 24 Aug, 2015 | Location: , United States

So, who am I?This is a tricky question to answer as I’m not always entirely sure who I am from one moment to another. In fact, all I'm certain of is that I'm not quite the same person as I was when I first arrived in this world, all tho...

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