• Published : 21 Apr, 2016
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चलो प्यार को अब कहीं छोड़ आयें
न फिर सामना हो ये माँगे दुआयें

तड़फना सिसकना यही है मुकाबिल
सितमगर सनम से हमीं बाज़ आयें

नजाकत नफासत तुम्हें हो मुबारक
बहुत देख ली हमने कातिल अदायें

अज़ब सा चलन है परिश्तिस ए उल्फत
किसे दें सदां औ कहाँ से बुलायें

मुहब्बत इबादत दिवानों के बलबे
खुदा खैर कर सर से टालो बलायें

हँसो मुस्कुराओ न मातम मनाओ
सुनो ज़िन्दगी दे रही है सदायें
 

About the Author

Brijesh Kumar

Joined: 27 Aug, 2015 | Location: , India

भावों को शब्दों में ढाल देता हूँ,कुछइस तरह दिल का गुबार निकाल देता हूँ ...

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