• Published : 04 Nov, 2015
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स्त्री की है ये कहानी

जिसे बारम्बार देनी पड़ी क़ुर्बानी

हर युग मे स्त्री ने ही दी है अग्नि परीक्षा सारी

स्त्री जब तक है अबला, बस तब तक है बेचारी

जब उठा ले त्रिशूल तो बन जाती है काली

समझो ना तुम इसे, बेचारी-दुर्बल नारी

जब आए मिटाने पर तो मिटा दे ये दुनिया सारी

फिर ना बक्से ये किसी को चाहे सामने हो कायनात सारी

चाहे तो कर माफ़ इंसान को भी

ना करे, तो फिर ना छोड़े भगवान को भी,

सम्मान के लिए क्यू तरसती स्त्री,

जब सब अधिकार है उसके पास भी समान,

स्त्री तो मिसाल है प्यार की

जो खुद परछाई है उपरवाले की खुदाई की

तो क्यू नही किसी को परवाह एक नारी की पहचान की

बात ख्तम नही होती यही नारी पर अत्चायर की

सब चाहते है माँ-बीवी को

पर क्यू नही चाहता कोई की बेटी भी हो

तुम्हारी माँ है, तो तुम हो

वरना कहा से पाते तुम अपने ये वजूद को

किसी की बेटी थी वो, जो अब बीवी है तुम्हारी

अगर उसके माता-पिता भी येई सोचते

नही चाहिए बेटी उन्हें भी, तो तुम कहा से पाते

अपनी अर्धांगिनी को,

फिर दीजिये जवाब क्यों नहीं चाहिए बेटी किसी को

कोई मज़ाक नही है स्त्री का वजूद

जिसे जब चाहे रोंद दे कोई भी पुरुष,

स्त्री ने बस अभी नही है ठानी

वरना मिटा दे वो हर किसी का वजूद

जब-जब होगा स्त्री पर अत्याचार

धरेगी वो काली का रोधर रूप

जब माँ काली को खुद रोक ना पाए भगवान शिव

तो तुम इंसान क्या रोक पाओगे,

स्त्री का चंडी रूप.

वक़्त है अभी तो सुधार जाओ,इंसानो सब

वरना कल खुद तुम ही होगे जिम्मेदार

अपनी भयानक तबाही के

मत भूलो तुम सब एक स्त्री से ही वजूद है तुम्हारा

वरना तुम होते भी ना यहा, ना होती ये नारी के अपमान की कहानी

स्त्री की कहानी..

 

About the Author

Taruna

Joined: 10 Aug, 2015 | Location: , India

I am a M.com student, working as a freelancer. I like to write, but i am not so good in writing. I am here to enhance my writing skills. I hope you guys will help me ....

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