• Published : 29 Feb, 2016
  • Comments : 0
  • Rating : 0

दर्द का एहसास अब कम ही कर पाते हो तुम,

नासूर बन गए हैं वक़्त के  दिए सारे ज़ख़्म...

काट दिया है तुम्हे हालात के पैने खंजरों ने

यूँ  झुकना फितरत में नहीं था तुम्हारी ...

 

सच के साथ जब डट के खड़े थे तुम …

राह  में पड़े पत्थर तुमने तराश डाले थे|

माया के ये किस जाल में फँस गए हो …

एक मुसाफिर ही अपनी राह भूल चला है

 

लौट आओ वापिस अपने उस आशियाने में …

जहाँ से लोगों की ज़िन्दगी को बदल रहे थे तुम|

कीमती हीरे जवाहरात नहीं हैं यहाँ ….

सादगी की चादर में लेकिन गर्मी बाकी है…

 

मुड कर देख भी न रहे  हो एक बार …

ये  किस पड़ाव पे जा पहुंचा  है कारवां …!

तुम्हारे शब्दों का  मरहम अब नसीब नहीं ..

तिल तिल करती जल रही है तिलोत्तमा…..!

 

Based on the protagonist of A Thousand Unspoken Words by Paulami Duttagupta

About the Author

Namrata Chauhan

Joined: 06 Apr, 2015 | Location: , India

...

Share
Average user rating

0


Please login or register to rate the story
Total Vote(s)

0

Total Reads

1029

Recent Publication
The Book that Changed My Life
Published on: 22 May, 2017
Nachos Date
Published on: 01 Mar, 2017
Musafir
Published on: 29 Feb, 2016
The Odd and Even of It
Published on: 22 Feb, 2016
Colors of Life
Published on: 30 Dec, 2015

Leave Comments

Please Login or Register to post comments

Comments