मैं मजदूर हूँ !
समाज की बोझिल नज़रों से बहुत दूर हूँ !
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ !!
ताजमहल की ख़ूबसूरती में मेरा ही पसीना चमकता है !
मेरी ही वज़ह से तुम्हारा शहर ये दमकता है !!
फिर भी ऐसे देखा जाता हूँ जैसे की ऊपर वाले का कोई कसूर हूँ !
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ !
मेरी बनाई सड़कें दूरियों को जीतती हैं !
मगर मेरी रातें फूटपाथ पे बीतती हैं !
मैं मेहनत का दूसरा नाम हूँ !
दुनिया सुबह में पहुँच गयी पर अभी मैं शाम हूँ !!
मैंने दुनिया के हालात बदले हैं मगर खुद हालात से मजबूर हूँ !
क्योंकि मैं एक मजदूर हूँ !
हाँ, मैं मजदूर हूँ !!
मेरी मेहनत अस्पतालों के हर ईंट में समाई है !
मगर मेरे बेटे ने इलाज न हो पाने से मौत पाई है !!
मेरे हाथों के सहारे तुम्हारे ये स्कूल खड़े हो गए !
मगर मेरे बच्चे अनपढ़ हैं जबकि इतने बड़े हो गए !!
समाज से इतनी उपेक्षा के बाद भी मैं अपना काम करता जरूर हूँ !
क्योंकि मैं एक मजदूर हूँ !
हाँ, मैं मजदूर हूँ !!
मेरी वज़ह से ही रौशन जहाँ ये तेरा है !
मगर मेरे घर में आज भी अँधेरा है !!
इस दुनिया के रंगमंच का अनदेखा किरदार हूँ मैं !
हर जिंदगी नगदी यहाँ पर शायद उधार हूँ मैं !!
मैं विकास के गीतों में समाया अनसुना सुर हूँ !
क्योंकि मैं एक मजदूर हूँ !
हाँ, मैं मजदूर हूँ !!
मेरे बाजुओं के सहारे ईमारतें गगन को छूती हैं !
मगर मेरे घर की छतें बरसात में आज भी चूती हैं !!
मैं नींव हूँ दुनिया के ईमारत का !
मैं मजदूर हूँ इस आज़ाद भारत का !!
मैं बदलाव चाहता हूँ अगर समाज का कोई दस्तूर हूँ !
ताकि मैं गर्व से कह सकूँ कि मैं एक मजदूर हूँ !!
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ !
मैं मजदूर हूँ !!
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