• Published : 30 Sep, 2015
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मैं मजदूर हूँ !

समाज की बोझिल नज़रों से बहुत दूर हूँ !

हाँ, मैं एक मजदूर हूँ !!

ताजमहल की ख़ूबसूरती में मेरा ही पसीना चमकता है !

मेरी ही वज़ह से तुम्हारा शहर ये दमकता है !!

फिर भी ऐसे देखा जाता हूँ जैसे की ऊपर वाले का कोई कसूर हूँ !

हाँ,  मैं एक मजदूर हूँ !

 

मेरी बनाई सड़कें दूरियों को जीतती हैं !

मगर मेरी रातें फूटपाथ पे बीतती हैं !

मैं मेहनत का दूसरा नाम हूँ !

दुनिया सुबह में पहुँच गयी पर अभी मैं शाम हूँ !!

मैंने दुनिया के हालात बदले हैं मगर खुद हालात से मजबूर हूँ !

क्योंकि मैं एक मजदूर हूँ !

हाँ,  मैं मजदूर हूँ !!

 

मेरी मेहनत अस्पतालों के हर ईंट में समाई है !

मगर मेरे बेटे ने इलाज न हो पाने से मौत पाई है !!

मेरे हाथों के सहारे तुम्हारे ये स्कूल खड़े हो गए !

मगर मेरे बच्चे अनपढ़ हैं जबकि इतने बड़े हो गए !!

समाज से इतनी उपेक्षा के बाद भी मैं अपना काम करता जरूर हूँ !

क्योंकि मैं एक मजदूर हूँ !

हाँ,  मैं मजदूर हूँ !!

 

मेरी वज़ह से ही रौशन जहाँ ये तेरा है !

मगर मेरे घर में आज भी अँधेरा है !!

इस दुनिया के रंगमंच का अनदेखा किरदार हूँ मैं !

हर जिंदगी नगदी यहाँ पर शायद उधार  हूँ मैं !!

मैं विकास के गीतों में समाया अनसुना सुर हूँ !

क्योंकि मैं एक मजदूर हूँ !

हाँ,  मैं मजदूर हूँ !!

 

मेरे बाजुओं के सहारे ईमारतें गगन को छूती हैं !

मगर मेरे घर की छतें बरसात में आज भी चूती हैं !!

मैं नींव हूँ दुनिया के ईमारत का !

मैं मजदूर हूँ इस आज़ाद भारत का !!

मैं बदलाव चाहता हूँ अगर समाज का कोई दस्तूर हूँ !

ताकि मैं गर्व से कह सकूँ कि मैं एक मजदूर हूँ !!

हाँ, मैं एक मजदूर हूँ !

मैं मजदूर हूँ !!

 

About the Author

Suyash Pandey

Joined: 18 Aug, 2015 | Location: , India

Writer, Engineer, Meditation, etc....

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