• Published : 30 Sep, 2015
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ख्याइशों के इस समर को शांति का एहसास दे दो 

विष तजे मस्तक को तुम ,शीतल शशि का साथ दे दो|

न समय तक साथ देना ,राह में तो हाथ दे दो;

न सुनहरा दो सवेरा , चांदनी एक रत दे दो|

अमृत भरे गागरों से तृप्त होना कौन चाहे ?

इस धधकती आग को तुम हवा का प्यास दे दो |

ख्याइशों ..............................................|

पर्वतों से छन के आती रश्मि की गुणगान मत दो,

सख्त हृदयों में पनपते प्रीत की पहचान मत दो|

पर्वतों से टूट कर पत्थर बिलखते है बहुत, 

भाव  भंगिम पत्थरों को शिल्प का विश्वास दे दो|

ख्याइशों ................................................|

एक गज़ल की तार बन कर मुझको मेरा नाम मत दो ,

गैर बन करतलध्वनि से मुझको ये सम्मान मत दो|

जो शिकायत सबसे है तुम से भी वो कैसे करें?

गैर सा सम्मान मत दो प्रेम का उपहार दे दो|

ख्याइशों ..............................................|

वर्षों से प्यासी  भूमी को मेघ  की बौछार मत दो,

याद में उजड़े चमन को श्रावणी श्रृंगार मत दो|

पर सुनो इस भूमि के तपते  ह्रदय की वेदना ,

आज रश्मि के रथी को बादली अवकाश दे दो|

ख्याइशों ..............................................|

छुब्ध हो मन से हमें मधुयमनी सौगात मत दो,

करके आलिंगन भले तुम चुम्बनी बरसात मत दो|

कोशिशें इतनी रहे की प्यार न बदनाम हो,

हमसे हमारा नाम ले हमको तुम्हारा नाम दे दो|

ख्याइशों ..............................................|

 

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Anurag K Thakur

Joined: 17 Aug, 2015 | Location: ,

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