
ख्याइशों के इस समर को शांति का एहसास दे दो
विष तजे मस्तक को तुम ,शीतल शशि का साथ दे दो|
न समय तक साथ देना ,राह में तो हाथ दे दो;
न सुनहरा दो सवेरा , चांदनी एक रत दे दो|
अमृत भरे गागरों से तृप्त होना कौन चाहे ?
इस धधकती आग को तुम हवा का प्यास दे दो |
ख्याइशों ..............................................|
पर्वतों से छन के आती रश्मि की गुणगान मत दो,
सख्त हृदयों में पनपते प्रीत की पहचान मत दो|
पर्वतों से टूट कर पत्थर बिलखते है बहुत,
भाव भंगिम पत्थरों को शिल्प का विश्वास दे दो|
ख्याइशों ................................................|
एक गज़ल की तार बन कर मुझको मेरा नाम मत दो ,
गैर बन करतलध्वनि से मुझको ये सम्मान मत दो|
जो शिकायत सबसे है तुम से भी वो कैसे करें?
गैर सा सम्मान मत दो प्रेम का उपहार दे दो|
ख्याइशों ..............................................|
वर्षों से प्यासी भूमी को मेघ की बौछार मत दो,
याद में उजड़े चमन को श्रावणी श्रृंगार मत दो|
पर सुनो इस भूमि के तपते ह्रदय की वेदना ,
आज रश्मि के रथी को बादली अवकाश दे दो|
ख्याइशों ..............................................|
छुब्ध हो मन से हमें मधुयमनी सौगात मत दो,
करके आलिंगन भले तुम चुम्बनी बरसात मत दो|
कोशिशें इतनी रहे की प्यार न बदनाम हो,
हमसे हमारा नाम ले हमको तुम्हारा नाम दे दो|
ख्याइशों ..............................................|
About the Author

Comments