कौन है ये जो मुझे हर बार रुला जाता है
हर बार मुझे ज़ख़्मी करके उस पार चला जाता है
मेरे सीने पर चलाता देहशतों की गोलियां
लूट ले जाता है मेरी बेटियों की डोलियां
कौन है जो मेरे बच्चों के खिलोने तोड़ देता
कौन है जो हर दफा कुछ लाशें पीछे छोड़ देता
मेरे कुछ बेटे खड़े हैं सरहदों पर ताने सीना
फिर भी चालाकी से घुस कर वार करता ये कमीना
मेरे ही कुछ और बेटे भाइयों से लड़ रहे
देख कर यह दुश्मनों के हौसले हैं बढ़ रहे
बाहरी दुश्मन को फिर भी मेरे बेटे देख लेंगे
मेरे दामन पर कभी भी आंच वो आने न देंगे
शर्म आती है मुझे कुछ दूसरे बेटे मेरे
बन गए हैं वो दरिंदे फाड़ते कपडे मेरे
बैठ कर वो कुर्सियों पर एक कहर हैं ढहा रहे
भूखे और बीमारों को वो गिद्ध जैसे खा रहे
मेरे कुछ बच्चे अभी भी पाठशाला जा रहे हैं
एक नयी ताक़त बनेंगे नन्हे मुन्ने आ रहे हैं
दुश्मनो को अपनी हद में रहना वो सिखलाएँगे
अपने चाचाओं को भी वो राह पर ले आएंगे.
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