प्रभात वेला की ,
मंदिरों की घंटियो के स्वर,
की तरह तुम्हारी निश्छल बोली ,
सुबह की अजान की तरह तुम्हारी पवित्रता
उड़ते पंछीयों की तरह,
तुम्हारे दिल की उमंगें ,
पर मैं,
बेईमान पिया .
नदियों की तरह तुम्हारा चलना ,
माँ के आँचल की तरह,
तुम्हारी जुल्फों की छाँव ,
नीलकमल सी आँखों का हया से झुकना ,
पर मैं,
बेईमान पिया.
गुलाब की पंखुरियों पर ,
ओस की बूंदों सी तुम्हारी हंसी ,
रेशम सी नाजुक तुम्हरी उंगलियाँ
हिमालय की तरह ऊँची तुम्हारी सोच,
पर मैं ,
बेईमान पिया
सागर जैसा विशाल तुम्हारा हृदयांगण ,
गंगा सा पावन तुम्हारा प्रेम ,
सूर्योदय सा लाली लिए तुम्हारा चेहरा
पर मैं
बेईमान पिया.
कृष्ण - सुदामा सी तुम्हारी दोस्ती ,
घात -प्रतिघात करता मैं,
अस्वस्थामा सा कलंक लिए,
पर मैं,जाऊं कहा ?
हाय तुम्हारा ,
बेईमान पिया.
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