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प्रभात वेला की ,

मंदिरों की घंटियो के स्वर,

की तरह तुम्हारी निश्छल बोली ,

सुबह की अजान की तरह तुम्हारी पवित्रता

उड़ते पंछीयों की तरह,

तुम्हारे दिल की उमंगें ,

पर मैं,

बेईमान  पिया .

नदियों की तरह तुम्हारा चलना ,

माँ के आँचल की तरह,

तुम्हारी जुल्फों की छाँव ,

नीलकमल सी आँखों का हया से झुकना ,

पर मैं,

बेईमान  पिया.

गुलाब की पंखुरियों  पर ,

ओस की बूंदों सी तुम्हारी हंसी ,

रेशम सी नाजुक तुम्हरी उंगलियाँ

हिमालय की तरह ऊँची तुम्हारी सोच,

पर मैं ,

बेईमान  पिया

सागर जैसा विशाल तुम्हारा हृदयांगण  ,

गंगा सा पावन  तुम्हारा प्रेम ,

सूर्योदय सा लाली लिए तुम्हारा चेहरा

पर मैं

बेईमान  पिया.

कृष्ण  - सुदामा सी तुम्हारी दोस्ती ,

घात -प्रतिघात करता मैं,

अस्वस्थामा सा कलंक लिए,

पर मैं,जाऊं कहा ?

हाय तुम्हारा ,

बेईमान  पिया.

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Shubhash

Joined: 23 Aug, 2015 | Location: , India

Still in search of myself what i m ...

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