काश मेरी तरह ज़िन्दगी आपने कुछ दिन ही गुज़ारी होती,
मेरे फैसले पे आज उंगलियां ना यूँ उठाई होती !
उनके सौ जूठ पे आपने कर लिया यकीन ,
काश मेरे एक सच को जानने की पहले कोशिश तो की होती !
मुझसे भी अगर आपका रिश्ता खून का होता,
यक़ीनन यु न बेबात नसीहत की झड़ी लगाई होती !
एक तरफी बातें सुन कर कर दिया फैसला ,
काश इंसानियत की नज़र से इन्साफ की भी कोशिश की होती !
रिश्तों की कदर करना हमें न आया होता तो ,
नफरत करने वालो के साथ आधी उम्र यु ही न गवांयी होती !
उम्र में छोटे हर दौर में क्यूं जज़्बाती ज़ुल्म का शिकार होते रहे ?
किस किताब में लिखा है की बड़ो से गलतियां कभी नहीं होती !
जिगर है तो किसी दिन मेरी भी पूरी कहानी सुन ,
सिर्फ कहने सुनने की किताबी बाते अब हमे बर्दाश्त नहीं होती !!
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