अगर सत्य से हमेशा असत्य है हारा…
और सब कुछ होता सिर ्फ गोरा या काला…
तो क्या अब तक बह रही होती यह धारा?
यह तुम्हारी हमारी विचारधारा |
एक-जुट हुए जिससे सभी …
बनी यह हक़ की एक लड़ा ई
विभा िजत भी उसी ने किया …
और फसादों की जड़ कहलाई |
जीवन में किसी ने अपनाई…
तो उसूलों में उनके नज़र आई
किसी ने इस्तमाल की…
तो बनी यह सियासत की चढ़ाई |
भेदभाव ना करती…
सबकी है, अपनी अपनी यह सबको प्यारी
एक करके अलग करने की क्षमता रखती…
निर्बल यह बेचारी |
कोई गांधी की पूजा करता…
तो कोई हि ंसा को सही ठहराता है
कोई कहता कि गलत ने है सही को मारा…
तो कोई मानता है इन्हे सिर ्फ दो अलग विचारधारा |
अगर सत्य से हमेशा असत्य है हारा…
और सब कुछ होता सिर ्फ गोरा या काला…
तो क्या अब तक बह रही होती यह धारा?
यह तुम्हारी हमारी विचारधारा |
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