• Published : 03 Sep, 2015
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तुम जानते हो न,

ये रात की कटोरियों में 

चाँद चखे 

कितना वक़्त हो गया है 

मुझे -तुम्हे 

 

तुम जानते हो न 

शहद सी वो बातें तुम्हारी 

टपकती है आज भी 

तन्हाइयों के पेड़ों से 

हौले हौले 

 

तुम जानते हो न

आज के दौर में भी 

पनपती हैं मोहब्बतें 

जिस्मानी प्यार से परे 

बीच तुम्हारे -मेरे 

 

चाँद ,पलाश और मैं भी 

देखते हैं ..रास्ता तुम्हारा 

जैसे लौट आओगे तुम 

चंद रस्में निभाने 

तुम जानते हो न.....

 

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Ananya

Joined: 31 Aug, 2015 | Location: ,

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Published on: 03 Sep, 2015

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