आज सुबह कुछ यूँ देखा
जो न था कभी देखा
एक बच्चा शर्माते हुए , इथ्लाते हुए अपने ही धुन में बढ़ा जा रहा था
जब ध्यान दिया तो पाया टाई बेल्ट लगाये , थर्मस गले में लटकाये खुशी से स्कूल जा रहा था
पर कंधे उसके खाली थे
और मेरे ज़हन में कुछ सवाल थे
जिसने कुछ करने पर मजबूर किया
और कुछ दूर मै भी युहीं चल दिया
फिर देखा उसकी माँ उसके साथ thi
एक हाथ में भारी बस्ता दूसरे हाथ में चॉकलेट की सौगात थी
चलते चलते मै उसके स्कूल तो पहुंच गया
पर उसके बाद के मंज़र से मै चौंक गया
उसकी माँ ने उसका बस्ता उसके कंधे पर लटकाया
और धीरे धीरे उसका कन्धा झुकता चला गया
तभी अचानक एक सोच एक प्रश्न आया
ये बोझ है या बस्ता
जिसमे जा रहा है बचपन धस्ता
NIRAASH
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