• Published : 20 Jun, 2017
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पिता देवतुल्य है...

हीरे जवाहरातो की चमक फीकी है।।।

ऐसा वो अमूल्य है।।

 

पिता नारियल है...

बाहर से सख्त,

भीतर से नर्म...

पर समझा न कोई,

इस बात का मर्म...

 

पिता का प्रेम,मिलता है उसे...

जिसके अच्छे होते है कर्म।।

उसी पिता को वृद्धाश्रम भेजने में,

बच्चो को आती ना शर्म।।

 

पिता होता तारणहार,

उठाता परिवार का बीड़ा।।

करता मेहनत अपार...

झेलता अनंत पीड़ा।।।

 

 

पिता देवतुल्य है...

हीरे जवाहरातो की भी चमक फीकी है।।।

ऐसा वो अमूल्य है।।

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