‘“एक अरसा हो गया है आपको देखे हुए
पर क्यों ऐसा लगता है जैसे आपसे कल ही मुलाकात हुई है
एक जमाना हो गया है आपके हाटों में हाथ डेल हुए
पर क्यों ऐसा लगता हैं की आप के हाथों में हमेशा मेरा ही हाथ है
पल दो पल बस आपकी बाँहों में जाने को जी करता है
पर क्यों ऐसा लगता है हर पल आप मेरी परछाईं हो
हर सांस में आपको महसूस करने को जी करता है
पर क्यों ऐसा लगता है मेरी सांस में आप ही बस्ते हो
आँखें खलता हूँ तो यह नज़र एक झलक आपका चेहरा ढूंढ़ता है
पर क्यों ऐसा लगता है की आप तो मेरे अंदर बस्ते हो
आपके हर दुःख अपनाने को जी करता है
पर क्यों ऐसा लगता है की आप मेरे दर्द मुझसे चीन लेते हो
आपके लिए हर पल फिर से जीने को जी करता हैं
पर क्यों ऐसा लगता है आप तो मेरे दिल की हर धड़कन में जीते हो .
आपके लिए तक़दीर से ख़ुशी चीन कर लेन को जी करता हैं
फिर क्यों ऐसा लगता हैं की मेरी ज़िन्दगी में सबसे बड़ी खुसी तो “आप ही हो ”’
“अभी ”
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