ख़ामोशियों में ढूंडती कुछ अल्फ़ाज़ ये तन्हाई,आँखों से झांकती और तुमसे मांगती कुछ जवाब,सरसराती पत्तिया है या, ये सन्नाटो का है शोर,कुछ ढूंडती सी रहती है, न जाने ये क्या-मेरी रूह या तेरी ख़ुश्बू - जो न दिखाई दी कभी |
Joined: 25 Aug, 2015 | Location: , India
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