
कागज के दस्तावेजों में
ढूँढ रहे हैं बलिदानी
जिनके नाम दिलों पे छपते
वो थे सच्चे हिन्दुस्तानी
मिटा उम्र की दीवारों को
लेकर अद्भुत विश्वास चले
आज़ादी के रखवाले बन कर
जगा क्रांति उन्माद चले
भगत -राज- सुखदेव कहीं पे
बजा रहे थे यूँ उद्घोष
कहीं हिन्द की सेना बढ़ती
चिल्लाती थी वो जय घोष
अंग्रेजों के प्रखर अहम को
दिया यूँही हर पल ललकार
ढून्ढ नहीं पाई सुभाष को
मरने पर भी वो सरकार
दशकों से यूँ खोज रहे हैं
खोज अभी तक जारी है
ऐसा था आतंक मचाया
खौफ्फ़ अभी तक बाकी है
बाल पाल और लाल उठाते
झंडा फिर स्वराज का
आज़ाद ने अंतिम गोली मारी
पग था वो गजराज का
सरकारी दस्तावेजों में
भगत सिंह गुमनाम हुए
कलुषित करते उस सपूत को
हम भी तो बदनाम हुए !
उन्हें नमन है मेरी देश के
ऐसे चाँद सितारे थे
शीश कटाया जान गवांयी
फिर भी गुमनाम दीवाने थे !
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