• Published : 17 Aug, 2015
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खिल उठी कलियाँ, चहक उठा आँगन 

रोशन हुई गलियाँ, महक उठा गुलशन 

रोम रोम गदगद हुआ, आनंदित हुआ तन मन  

मौसम में छाई बहार, चली कुछ ऐसी बयार 

रब ने हमारी सुन ली पुकार...................

हमारी लाड़ली लाई बहार.........................

 

उसके चेहरे का नूर, मेरे माथे का गुरुर........ 

उसके होठों की मुस्कान, मेरे दिल का सुरूर 

उसकी मासूम सी बोली, कानों में रस घोलती 

उसके पैरों की खनक, मेरे चेहरे की चमक.... 

उसके आँखों के आँसू, जैसे रिमझिम फुहार 

रब ने हमारी सुन ली पुकार...................

हमारी लाड़ली लाई बहार........................

 

मगर उसकी मासूम आँखें अक्सर 

मुझसे एक सवाल करती है........

मैं बेटी हूँ, हाँ मैं बेटी हूँ...............

तो क्यों दुनिया इसपे बवाल करती है

 

बस एक यही बात मेरे मन में जहर घोलती............. 

जब दुनिया बेटी को बेटे से तोलती...........

पूछती है उसकी मासूम सी निगाहें सवाल यही हर बार    

मैं बेटी हूँ, हाँ मैं बेटी हूँ 

तो क्या दे सकोगे मुझको मेरे अधिकार.................. 

 

 मौसम में छाई बहार, चली कुछ ऐसी बयार 

रब ने हमारी सुन ली पुकार...................

हमारी लाड़ली लाई बहार.........................

 

About the Author

Dinesh Gupta

Joined: 15 Aug, 2015 | Location: , India

I am Dinesh Gupta 'Din' Software Engineer By Profession & Poet by Passion. I am Author of 3 Hindi Poetry Books.Kaise Chand Lafzon Men Saara Pyar LikhunJo Kucch Bhi Tha DarmiyaanMeri Aaankhon Men Muhabbat Ke Manzar Hain.My Poetry, Book Rev...

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