• Published : 03 Sep, 2015
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शाम हुई तो बात बनी तू 
निशा होते विश्राम बनी है 
पर सुबह प्रथम किरण से
क्यूँ तू है फिर छूटी मुझसे?
एक कहानी रूठी मुझसे!


स्मरण तेरा प्रतिपल करने को
समय दिवा में पास कहाँ!
हर संध्या भी तेरी भंगिमा
किन्तु अब है टूटी मुझसे
एक कहानी रूठी मुझसे|

न मानूँ कोई अपराध हुआ हो!
या कभी किसी और से
मुझको ऐसा प्यार हुआ हो!
क्यूँ वार किया ऐसा फिर, दैव! 
प्रत्येक निशानी लूटी मुझसे?

मेरी...
प्रेम कहानी रूठी मुझसे||

About the Author

Vikas Pratap Singh

Joined: 31 Aug, 2015 | Location: , India

A poet and a lyricist...

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