जिस्म को छु के तो कोई भी प्यार जता लेता है
कोई रूह से प्यार जताए तो क्या बात है
देखते तो हैं सब जिस्म की शोखियां
किसी को रूह से मोहब्बत हो जाये तो क्या बात है
औरत के जिस्म को बेपर्दा करके तो की मोहब्बत
उसके जिस्म को ढांप के हो जाये मोहब्बत तो क्या बात है
हवस अपनी आँखों से मिटाकर कभी तो महसूस करो
स्नेह का दिया जलाओ अपनी रूह में तो क्या बात है
उसकी सिसकियाँ तुमने सुनी नही कभी उसके आँखों से आंसूं गिरने का कारण न बनो तो क्या बात है
अपनी हैवानियत से हमेशा उसे डरते हो तुम कभी अपनी इंसानियत उसे दिखाओ तो क्या बात है
वैसे तो छु जाते हो उसे तुम पर दिल की भावनाओं को भी उसकी छु जाओ तो क्या बात है
वो तो हमेशा ही तुम्हारे प्यार में मारने को तैयार रहती है तुम उसे जिन्दा रहने का अहसास दिलाओ तो क्या बात है
कहकर तो देखो ये जिंदगी उसकी है और किसी की नही न तुम्हे वो पलकों पे बिठा ले तो क्या बात है ।
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